Thursday, December 20, 2012

आखिरी ख़त

माँ पढ़ लेना ये आखरी ख़त मेरा,
जा रहा हूँ छोड़कर यहीं साथ तेरा 

कर देना दफ़न इस दर्द को यहीं ,
मिलूँगा ज़रूर आगे इस राह में कहीं 

माँ अब मुस्कुरा भी दे ज़रा ,
कर दिया पिता जी का मैंने सपना जो पूरा 

करना तो चाहता था अभी बहुत सी बात ,
पर न दे सकेगा यह शरीर अब मेरा साथ

न होना मायूस तू इस ख़त को पढके ,
जा रहा हूँ अब तेरी इस दुनिया को छोड़के

Copyright © Ashwarya pratap singh, 2012

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